वक़्दा तुशाई करता हूं, माज़ी और हाल में
जितने में गोश्त मिलता था, अब लगता है दाल में।
पोशाक का ग़ुमान तो, मंहगा है इसक़दर
जितने में ढकते थे तन, लगता है रूमाल में।
गल्ला के भाव-ताव में, नेता ने कह दिया
ये योजना अभी बनेगी, अभी पांच साल में।
भाई-भाई का दुश्मन है, कैसे हैं ये सलूक
होता नहीं शरीक कोई इंतकाल में।
ऐ हिंद अपनी उर्दू को दूं इस लिए मिटा
उत्तर मिलेगा आपको, हर हर सवाल मे।
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